बे-बर्ग शजर
अब में किस से कहूँ
कि कहने के लिए कुछ भी नहीं
न हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ न आवाज़ न समाअ'त
कोई रिश्ता नाता है नहीं
इक इक कर के रिश्ते नाते मिट्टी से बिछड़ के
और पानी में डूबते चले जाते हैं
वहाँ जाने का वक़्त आ गया है
साथ ले जाने वाला परिंदा सर पर मंडला रहा है
इसी लिए दरख़्तों की पुतलियाँ बिल्कुल ख़ामोश हैं
मालूम हुआ कि कोई किसी का था ही नहीं
या दिल तो शायद महज़ निराशा का ढेर था
इस ढेर पर पानी की एक बूँद भी गिरने को तयार नहीं थी
सफ़र करने वाला बरहना पाँव तो धूल में पड़ा रह गया
मैं ने शायद उसे इस लिए नहीं उठाया कि
उसे किसी और जिस्म में लगाया नहीं जा सकता था
(879) Peoples Rate This