Sharab Poetry of Ahmad Faraz
नाम | अहमद फ़राज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Faraz |
जन्म की तारीख | 1931 |
मौत की तिथि | 2008 |
शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
साक़ी ये ख़मोशी भी तो कुछ ग़ौर-तलब है
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नामा-ए-जानाँ
कर गए कूच कहाँ
दोस्ती का हाथ
ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें
उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया
तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तिरी दुहाई न दूँ
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
क़ुर्ब-ए-जानाँ का न मय-ख़ाने का मौसम आया
क्यूँ न हम अहद-ए-रिफ़ाक़त को भुलाने लग जाएँ
किसी जानिब से भी परचम न लहू का निकला
कल हम ने बज़्म-ए-यार में क्या क्या शराब पी
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो