Hope Poetry of Ahmad Faraz
नाम | अहमद फ़राज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Faraz |
जन्म की तारीख | 1931 |
मौत की तिथि | 2008 |
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़
तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
हमें भी अर्ज़-ए-तमन्ना का ढब नहीं आता
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है
भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
अब तिरा ज़िक्र भी शायद ही ग़ज़ल में आए
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
वापसी
सरहदें
मुझ से पहले
मुहासरा
मयूरका
मैं और तू
कर गए कूच कहाँ
कनीज़
इंतिसाब
हच-हाईकर
दोस्ती का हाथ
ऐ मेरे सारे लोगो