Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6f346f3b2b4b9762924610a7ef252de3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया - अहमद फ़राज़ कविता - Darsaal

उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया

उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया

हिज्र की रात बाम पर माह-ए-तमाम रख दिया

आमद-ए-दोस्त की नवेद कू-ए-वफ़ा में आम थी

मैं ने भी इक चराग़ सा दिल सर-ए-शाम रख दिया

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही

उस ने जो फेर ली नज़र मैं ने भी जाम रख दिया

उस ने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुख़न कहे

मैं ने तो उस के पाँव में सारा कलाम रख दिया

देखो ये मेरे ख़्वाब थे देखो ये मेरे ज़ख़्म हैं

मैं ने तो सब हिसाब-ए-जाँ बर-सर-ए-आम रख दिया

अब के बहार ने भी कीं ऐसी शरारतें कि बस

कब्क-ए-दरी की चाल में तेरा ख़िराम रख दिया

जो भी मिला उसी का दिल हल्क़ा-ब-गोश-ए-यार था

उस ने तो सारे शहर को कर के ग़ुलाम रख दिया

और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे

माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया

(5255) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya Poem for Youth in PDF. Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya is a Poem on Inspiration for young students. Share Usne Sukut-e-shab Mein Bhi Apna Payam Rakh Diya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.