रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए
रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए
आप आए भी मगर रोने के आदी रोए
उन के आ जाने से कुछ थम से गए थे आँसू
उन के जाते ही मगर रोने के आदी रोए
हाए पाबंदी-ए-आदाब तिरी महफ़िल की
कि सर-ए-राहगुज़र रोने के आदी रोए
एक तक़रीब-ए-तबस्सुम थी बहाराँ लेकिन
फिर भी आँखें हुईं तर रोने के आदी रोए
दर्द-मंदों को कहीं भी तो क़रार आ न सका
कोई सहरा हो कि घर रोने के आदी रोए
ऐ 'फ़राज़' ऐसे में बरसात कटेगी क्यूँकर
गर यूँही शाम-ओ-सहर रोने के आदी रोए
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