Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_286e8d0964d5f92818881c74c14f5132, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे - अहमद फ़राज़ कविता - Darsaal

क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे

क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे

जो मुस्तक़िल सुकूत से दिल को लहू करे

अब तो हमें भी तर्क-ए-मरासिम का दुख नहीं

पर दिल ये चाहता है कि आग़ाज़ तू करे

तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी

ख़ुद को गँवा के कौन तिरी जुस्तुजू करे

अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए

ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे

तुझ को भुला के दिल है वो शर्मिंदा-ए-नज़र

अब कोई हादसा ही तिरे रू-ब-रू करे

चुप-चाप अपनी आग में जलते रहो 'फ़राज़'

दुनिया तो अर्ज़-ए-हाल से बे-आबरू करे

(2538) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare Poem for Youth in PDF. Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare is a Poem on Inspiration for young students. Share Kya Aise Kam-suKHan Se Koi Guftugu Kare with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.