Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aa32a2a5f04b01e6923a9a43b5fd258c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब यार ने रख़्त-ए-सफ़र बाँधा कब ज़ब्त का पारा उस दिन था - अहमद फ़राज़ कविता - Darsaal

जब यार ने रख़्त-ए-सफ़र बाँधा कब ज़ब्त का पारा उस दिन था

जब यार ने रख़्त-ए-सफ़र बाँधा कब ज़ब्त का पारा उस दिन था

हर दर्द ने दिल को सहलाया क्या हाल हमारा उस दिन था

जब ख़्वाब हुईं उस की आँखें जब धुँद हुआ उस का चेहरा

हर अश्क सितारा उस शब था हर ज़ख़्म अँगारा उस दिन था

सब यारों के होते सोते हम किस से गले मिल कर रोते

कब गलियाँ अपनी गलियाँ थीं कब शहर हमारा उस दिन था

जब तुझ से ज़रा ग़ाफ़िल ठहरे हर याद ने दिल पर दस्तक दी

जब लब पे तुम्हारा नाम न था हर दुख ने पुकारा उस दिन था

इक तुम ही 'फ़राज़' न थे तन्हा अब के तो बला वाजिब आई

इक भीड़ लगी थी मक़्तल में हर दर्द का मारा उस दिन था

(2856) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha Poem for Youth in PDF. Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Yar Ne RaKHt-e-safar Bandha Kab Zabt Ka Para Us Din Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.