Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3da7caf306ef410c6f6ddc9a26555fee, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गिला फ़ुज़ूल था अहद-ए-वफ़ा के होते हुए - अहमद फ़राज़ कविता - Darsaal

गिला फ़ुज़ूल था अहद-ए-वफ़ा के होते हुए

गिला फ़ुज़ूल था अहद-ए-वफ़ा के होते हुए

सो चुप रहा सितम-ए-ना-रवा के होते हुए

ये क़ुर्बतों में अजब फ़ासले पड़े कि मुझे

है आश्ना की तलब आश्ना के होते हुए

वो हीला-गर हैं जो मजबूरियाँ शुमार करें

चराग़ हम ने जलाए हवा के होते हुए

न चाहने पे भी तुझ को ख़ुदा से माँग लिया

ये हाल है दिल-ए-बे-मुद्दआ के होते हुए

न कर किसी पे भरोसा कि कश्तियाँ डूबें

ख़ुदा के होते हुए नाख़ुदा के होते हुए

मगर ये अहल-ए-रिया किस क़दर बरहना हैं

गलीम ओ दल्क़ ओ अबा ओ क़बा के होते हुए

किसे ख़बर है कि कासा-ब-दस्त फिरते हैं

बहुत से लोग सरों पर हुमा के होते हुए

'फ़राज़' ऐसे भी लम्हे कभी कभी आए

कि दिल-गिरफ़्ता रहे दिलरुबा के होते हुए

(4720) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue Poem for Youth in PDF. Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue is a Poem on Inspiration for young students. Share Gila Fuzul Tha Ahd-e-wafa Ke Hote Hue with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.