Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_88d5a71b676ae9279efac03523a8f9fe, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या - अहमद फ़राज़ कविता - Darsaal

चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या

चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या

हम ने भी कीं दर-ओ-दीवार से बातें क्या क्या

बात बन आई है फिर से कि मिरे बारे में

उस ने पूछीं मिरे ग़म-ख़्वार से बातें क्या क्या

लोग लब-बस्ता अगर हों तो निकल आती हैं

चुप के पैराया-ए-इज़हार से बातें क्या क्या

किसी सौदाई का क़िस्सा किसी हरजाई की बात

लोग ले आते हैं बाज़ार से बातें क्या क्या

हम ने भी दस्त-शनासी के बहाने की हैं

हाथ में हाथ लिए प्यार से बातें क्या क्या

किस को बिकना था मगर ख़ुश हैं कि इस हीले से

हो गईं अपने ख़रीदार से बातें क्या क्या

हम हैं ख़ामोश कि मजबूर-ए-मोहब्बत थे 'फ़राज़'

वर्ना मंसूब हैं सरकार से बातें क्या क्या

(2282) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya In Hindi By Famous Poet Ahmad Faraz. Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya is written by Ahmad Faraz. Complete Poem Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya in Hindi by Ahmad Faraz. Download free Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya Poem for Youth in PDF. Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Chal Nikalti Hain Gham-e-yar Se Baaten Kya Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.