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Ahmad Faraz Khawab In Hindi - Best Khawab Of Ahmad Faraz Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Khawab Poetry of Ahmad Faraz

Khawab Poetry of Ahmad Faraz
नामअहमद फ़राज़
अंग्रेज़ी नामAhmad Faraz
जन्म की तारीख1931
मौत की तिथि2008

रात क्या सोए कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गई

मैं ने देखा है बहारों में चमन को जलते

ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें

'फ़राज़' तेरे जुनूँ का ख़याल है वर्ना

चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो

ज़ेर-ए-लब

सफ़ेद छड़ियाँ

मुझ से पहले

मयूरका

ख़्वाबों के ब्योपारी

काली दीवार

इंतिसाब

अभी हम ख़ूबसूरत हैं

ये शहर सेहर-ज़दा है सदा किसी की नहीं

वो दुश्मन-ए-जाँ जान से प्यारा भी कभी था

वहशतें बढ़ती गईं हिज्र के आज़ार के साथ

उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया

तुझे है मश्क़-ए-सितम का मलाल वैसे ही

तरस रहा हूँ मगर तू नज़र न आ मुझ को

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सू-ए-फ़लक न जानिब-ए-महताब देखना

नौहागरों में दीदा-ए-तर भी उसी का था

न सह सका जब मसाफ़तों के अज़ाब सारे

मुंतज़िर कब से तहय्युर है तिरी तक़रीर का

ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें

जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो

जब यार ने रख़्त-ए-सफ़र बाँधा कब ज़ब्त का पारा उस दिन था

जब तुझे याद करें कार-ए-जहाँ खेंचता है

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