अहमद फ़राज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद फ़राज़ (page 11)
नाम | अहमद फ़राज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Faraz |
जन्म की तारीख | 1931 |
मौत की तिथि | 2008 |
ग़ैरत-ए-इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी
फ़क़ीह-ए-शहर की मज्लिस से कुछ भला न हुआ
दुख फ़साना नहीं कि तुझ से कहें
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए
दिल मुनाफ़िक़ था शब-ए-हिज्र में सोया कैसा
दिल बदन का शरीक-ए-हाल कहाँ
चले थे यार बड़े ज़ोम में हवा की तरह
चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या
चाक-पैराहनी-ए-गुल को सबा जानती है
भेद पाएँ तो रह-ए-यार में गुम हो जाएँ
बैठे थे लोग पहलू-ब-पहलू पिए हुए
अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी
अजब जुनून-ए-मसाफ़त में घर से निकला था
ऐसे चुप हैं कि ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए
अब क्या सोचें क्या हालात थे किस कारन ये ज़हर पिया है
अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा