Sad Poetry of Ahmad Azeem
नाम | अहमद अज़ीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Azeem |
उन से भी पूछिए कभी अपनी ज़मीं का कर्ब
इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक
ऐ शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे
आहन ओ संग को ज़हराब-ए-फ़ना चाट गया
क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं
मैं तो सोया भी न था क्यूँ ये दर-ए-ख़्वाब गिरा
इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक
इश्क़ में हो के मुब्तिला दिल ने कमाल कर दिया
फ़ित्ना उठा तो रज़्म-गह-ए-ख़ाक से उठा
दस्तक हवा की सुन के कभी डर नहीं गया
ऐसी भी कहाँ बे-सर-ओ-सामानी हुई है
ऐसा इलाज-ए-हब्स-ए-दिल-ए-ज़ार चाहिए
अब सोचिए तो दाम-ए-तमन्ना में आ गए