सब मोजज़ों के बाब में ये मोजज़ा भी हो
जो लोग मर गए हैं उन्हें ख़ाक से उठा
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
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इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक
ऐसी भी कहाँ बे-सर-ओ-सामानी हुई है
इश्क़ में हो के मुब्तिला दिल ने कमाल कर दिया
आहन ओ संग को ज़हराब-ए-फ़ना चाट गया
दस्तक हवा की सुन के कभी डर नहीं गया
धुँद में खो के रह गईं सूरतें मेहर-ओ-माह सी
बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्र
अब सोचिए तो दाम-ए-तमन्ना में आ गए
किसे ख़बर कि है क्या क्या ये जान थामे हुए
तू ने भी सारे ज़ख़्म किसी तौर सह लिए
उन से भी पूछिए कभी अपनी ज़मीं का कर्ब