क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं

क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं

ख़ाक-ब-सर इस दश्त में ख़ाक उड़ा के आए हैं

याद है तेग़-ए-बे-रुख़ी याद है नावक-ए-सितम

बज़्म से तेरी अहल-ए-दिल रंज उठा के आए हैं

जुर्म थी सैर-ए-गुलिस्ताँ जुर्म था जल्वा-हा-ए-गुल

जब्र के बावजूद हम गश्त लगा के आए हैं

पहले भी सर बहुत कटे पहले भी ख़ूँ बहुत बहा

अब के मगर अज़ाब के दौर बला के आए हैं

रात का कोई पहर है तेज़ हवा का क़हर है

ख़ौफ़-ज़दा दिलों में सब हर्फ़ दुआ के आए हैं

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Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain In Hindi By Famous Poet Ahmad Azeem. Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain is written by Ahmad Azeem. Complete Poem Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain in Hindi by Ahmad Azeem. Download free Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain Poem for Youth in PDF. Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Qarya-e-intizar Mein Umr Ganwa Ke Aae Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.