फ़ित्ना उठा तो रज़्म-गह-ए-ख़ाक से उठा

फ़ित्ना उठा तो रज़्म-गह-ए-ख़ाक से उठा

सूरज किसी के पैरहन-ए-चाक से उठा

ये दिल उठा रहा है बड़े हौसले के साथ

वो बार जो ज़मीं से न अफ़्लाक से उठा

सब मोजज़ों के बाब में ये मोजज़ा भी हो

जो लोग मर गए हैं उन्हें ख़ाक से उठा

सूरज की ज़ौ चराग़-ए-शिकस्ता की लौ से हो

क़ुल्ज़ुम की मौज दीदा-ए-नमनाक से उठा

पूछा जो उस ने अहद-ए-जराहत का माजरा

दरिया लहू का हर रग-ए-पोशाक से उठा

(802) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha In Hindi By Famous Poet Ahmad Azeem. Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha is written by Ahmad Azeem. Complete Poem Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha in Hindi by Ahmad Azeem. Download free Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha Poem for Youth in PDF. Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha is a Poem on Inspiration for young students. Share Fitna UTha To Razm-gah-e-KHak Se UTha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.