चूहा

एक बोसे ने

तुम्हें औरत बना दिया

और उसे तब्दील कर दिया

एक चूहे में

ये चूहा

बल्लियों को देख कर

डरा सहमा

शहर की गलियों में

घुस जाता है

ढूँडता रहता है दिन भर

अपनी वहशत का सिरा

मुबाशरत की जगह

आवारागर्दी करता है

उन से कह दो

अपने जिस्म को दिखाने का

स्वाँग न रचाएँ

चूहा सोचता है

पागल आँखें

उन के बदन के किसी भी हिस्से में

दाख़िल हो सकती हैं

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Chuha In Hindi By Famous Poet Ahmad Azad. Chuha is written by Ahmad Azad. Complete Poem Chuha in Hindi by Ahmad Azad. Download free Chuha Poem for Youth in PDF. Chuha is a Poem on Inspiration for young students. Share Chuha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.