फिर कोई दूर हुआ जाता है
फिर कोई दिल के क़रीब आएगा
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दोनों के जो दरमियाँ ख़ला है
मिरे लिए तिरा होना अहम ज़ियादा है
हम बहकते हुए आते हैं तिरे दरवाज़े
अब यहाँ कौन निकालेगा भला दूध की नहर
इश्क़ से भाग के जाया भी नहीं जा सकता
किसी को ख़्वाब में अक्सर पुकारते हैं हम
ताबीर बताई जा चुकी है
मैं तेरी रूह में उतरा हुआ मिलूँगा तुझे
सफ़्हा-ए-ज़ीस्त जब पढूँगा तुम्हें
ये जो रातों को मुझे ख़्वाब नहीं आते 'अता'
हमारी उम्र से बढ़ कर ये बोझ डाला गया