कोई ऐसा तो तिरे ब'अद नहीं रहना था
हालत-ए-हिज्र को उफ़्ताद नहीं रहना था
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कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ
हमारा इश्क़ सलामत है यानी हम अभी हैं
ऐ मियाँ कौन ये कहता है मोहब्बत की है
दिल कोई फूल नहीं और सितारा भी नहीं
हमारी उम्र से बढ़ कर ये बोझ डाला गया
क्या हुए लोग पुराने जिन्हें देखा भी नहीं
ये तिरा हिज्र अता दर्द अता कर्ब अता
इक रात मैं सो नहीं सका था
सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनिया
किसी को ख़्वाब में अक्सर पुकारते हैं हम
मैं तो मिट्टी हो रहा था इश्क़ में लेकिन 'अता'
मैं तेरी रूह में उतरा हुआ मिलूँगा तुझे