पहले हम अश्क थे फिर दीदा-ए-नम-नाक हुए

पहले हम अश्क थे फिर दीदा-ए-नम-नाक हुए

इक जू-ए-आब-ए-रवाँ हाथ लगी पाक हुए

और फिर सादा-दिली दिल में कहीं दफ़्न हुई

और फिर देखते ही देखते चालाक हुए

और फिर शाम हुई, रंग उड़े, जाम बने

और फिर ज़िक्र छिड़ा, थोड़े से ग़मनाक हुए

और फिर आह भरी अश्क बहे, शेर कहे

और फिर रक़्स किया, धूल उड़ी, ख़ाक हुए

और फिर हम कसी पा-पोश का पैवंद बने

और फिर अपने भी चर्चे सर-ए-अफ़्लाक हुए

और फिर याद किया इस्म पढ़ा, फूँक दिया

और फिर कोह-ए-गिराँ भी ख़स-ओ-ख़ाशाक हुए

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Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue In Hindi By Famous Poet Ahmad Ata. Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue is written by Ahmad Ata. Complete Poem Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue in Hindi by Ahmad Ata. Download free Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue Poem for Youth in PDF. Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue is a Poem on Inspiration for young students. Share Pahle Hum Ashk The Phir Dida-e-nam-nak Hue with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.