Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_49c84e3c1d539a4a80100d376fb885f5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब से में ने देखा है एक ख़ुशनुमा चेहरा - अहमद अली बर्क़ी आज़मी कविता - Darsaal

जब से में ने देखा है एक ख़ुशनुमा चेहरा

जब से में ने देखा है एक ख़ुशनुमा चेहरा

तब से है निगाहों में उस का चाँद सा चेहरा

सूरत और सीरत में इम्तियाज़ मुश्किल है

है हर एक चेहरे पर एक दूसरा चेहरा

एक और दो ही में ज़ेहन था परागंदा

आ गया कहाँ से ये एक तीसरा चेहरा

बा-वफ़ा समझता था जिस को बेवफ़ा निकला

रोज़ वो बदलता है इक न इक नया चेहरा

था नक़ाब में अब तक बे-हिजाब जब देखा

फ़ाश हो गया आख़िर उस का बद-नुमा चेहरा

दूर से समझते थे जिस को चाँद का टुकड़ा

जब क़रीब से देखा था वो खुरदुरा चेहरा

मेरी चश्म-ए-बातिन से कुछ नहीं है पोशीदा

है ज़बान-ए-दिल 'बर्क़ी' आइना-नुमा चेहरा

(1506) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra In Hindi By Famous Poet Ahmad Ali Barqi Azmi. Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra is written by Ahmad Ali Barqi Azmi. Complete Poem Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra in Hindi by Ahmad Ali Barqi Azmi. Download free Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra Poem for Youth in PDF. Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Se Mein Ne Dekha Hai Ek KHushnuma Chehra with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.