दूर से क्या मुस्कुरा कर देखना
दूर से क्या मुस्कुरा कर देखना
दिल का आलम दिल में आ कर देखना
ख़ुद को गर पहचानना चाहो कभी
मुझ को आईना बना कर देखना
क़द का अंदाज़ा तुम्हें हो जाएगा
अपने साए को घटा कर देखना
मैं अँधेरे ओढ़ कर सो जाऊँगा
तुम उजालों में समा कर देखना
शाम का मंज़र हसीं हो जाएगा
हाथ पे मेहंदी लगा कर देखना
हो चला ज़ख़्म-ए-तमन्ना मुंदमिल
इक ज़रा फिर मुस्कुरा कर देखना
किस क़दर 'आग़ाज़' उबलता है सकूँ
तुम ज़रा आँसू बहा कर देखना
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