Ghazals of Aghaz Barni
नाम | आग़ाज़ बरनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aghaz Barni |
वो नज़र मेहरबाँ अगर होती
मैं हर्फ़-ए-इब्तिदा हूँ
घर से निकलना जब मिरी तक़दीर हो गया
दूर से क्या मुस्कुरा कर देखना
दिल था कि ग़म-ए-जाँ था
बे-हिसी इंसान का हासिल न हो
अगर कुछ ए'तिबार-ए-जिस्म-ओ-जाँ हो
अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे