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चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा - आग़ा शायर कविता - Darsaal

चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा

चलेगा नहीं मुझ पे फ़ुक़रा तुम्हारा

हटा लो कि ख़ंजर है झूटा तुम्हारा

मनाएँ तो अब जान दे कर मनाएँ

क़यामत है ये रूठ जाना तुम्हारा

बड़े सीधे सादे बड़े भूले भाले

कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा

बचा है जो साग़र में क्यूँ फेंकते हो

हमें दे दो हम पी लें झूटा तुम्हारा

ये क्या है सबब आज चुप चुप हो प्यारे

बताओ तो क्यूँ जी है कैसा तुम्हारा

उठाने पड़े ख़ाक से दल के टुकड़े

बड़ा प्यार था प्यार देखा तुम्हारा

ख़ुदा के लिए हाँ नहीं कुछ तो कह दो

कि मुँह तक रही है तमन्ना तुम्हारा

इलाज उस के बीमार का तुम करोगे

कहीं दिल चला है मसीहा तुम्हारा

चला 'शाएर' ज़ार तस्लीम लीजिए

भला हो भला मेरे दाता तुम्हारा

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