Islamic Poetry of Agha Shayar Qazalbash
नाम | आग़ा शाएर क़ज़लबाश |
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अंग्रेज़ी नाम | Agha Shayar Qazalbash |
जन्म की तारीख | 1871 |
मौत की तिथि | 1940 |
उन्स अपने में कहीं पाया न बेगाने में था
रुख़्सार के परतव से बिजली की नई धज है
रोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई
न निकला मुँह से कुछ निकली न कुछ भी क़ल्ब-ए-मुज़्तर की
मस्कन वहीं कहीं है वहीं आशियाँ कहीं
जिस ने तुझे ख़ल्वत में भी तन्हा नहीं देखा
गिरी गिर कर उठी पलटी तो जो कुछ था उठा लाई
दिल सर्द हो गया है तबीअत बुझी हुई