लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया
लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया
जिस ने इस दिल को हथेली का फफूला कर दिया
देखना मग़रिब की जानिब ये शफ़क़ का फूलना
डूबते सूरज ने सोने में सुहागा कर दिया
ज़िंदगी और मौत में इक उम्र से थी कशमकश
वक़्त पर दो हिचकियों ने पाक झगड़ा कर दिया
इक शरारा सा क़रीब-ए-शम्अ जा कर मिल गया
आतिश-ए-परवाना ने शोले को दूना कर दिया
बुलबुल-ए-तस्वीर हूँ अब बोलना है नागवार
तेरी इस हंगामा आराई ने चुपका कर दिया
इस को कहते हैं लगी परवाने जल बुझ डूब मर
रोते रोते शम्अ ने आख़िर सवेरा कर दिया
दे दिया आँखें लड़ा कर इस परी-पैकर ने जाम
मैं नशे में चूर था ही और अंधा कर दिया
क्या गिरामी हस्तियाँ हैं हज़रत-ए-'उस्मान'-ओ-'शाद'
'शाइर' इन दोनों ने दुनिया में उजाला कर दिया
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