जिस ने तुझे ख़ल्वत में भी तन्हा नहीं देखा
जिस ने तुझे ख़ल्वत में भी तन्हा नहीं देखा
उस देखने वाले का कलेजा नहीं देखा
उफ़ उफ़ वो उचटती सी निगाह-ए-ग़लत-अंदाज़
इस तरह से देखा है कि गोया नहीं देखा
जिस गुल को ये सब ढूँडती फिरती हैं हवाएँ
तू ने तो उसे नर्गिस-ए-शहला नहीं देखा
दम आँखों में अटका है ख़ुदा के लिए आओ
फिर ये न गिला हो मिरा रस्ता नहीं देखा
'शाइर' ये ग़ज़ल लिक्खी है या जड़ दिए मोती
दुनिया में क़लमकार भी ऐसा नहीं देखा
(862) Peoples Rate This