Hope Poetry of Agha Hashr Kashmiri
नाम | आग़ा हश्र काश्मीरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Agha Hashr Kashmiri |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1935 |
ये खुले खुले से गेसू इन्हें लाख तू सँवारे
सब कुछ ख़ुदा से माँग लिया तुझ को माँग कर
गो हवा-ए-गुलसिताँ ने मिरे दिल की लाज रख ली
गो हरम के रास्ते से वो पहुँच गए ख़ुदा तक
याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं
तुम और फ़रेब खाओ बयान-ए-रक़ीब से
सू-ए-मय-कदा न जाते तो कुछ और बात होती
चोरी कहीं खुले न नसीम-ए-बहार की