Islamic Poetry of Agha Hajju Sharaf
नाम | आग़ा हज्जू शरफ़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Agha Hajju Sharaf |
क्या ख़ुदा हैं जो बुलाएँ तो वो आ ही न सकें
तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए
तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम
सन्नाटे का आलम क़ब्र में है है ख़्वाब-ए-अदम आराम नहीं
सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे
रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है
रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में
पाया तिरे कुश्तों ने जो मैदान-ए-बयाबाँ
ख़ुदा-मालूम किस की चाँद से तस्वीर मिट्टी की
जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की
जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का
इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए
हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया
हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में
हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे
दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए
चलते हैं गुलशन-ए-फ़िरदौस में घर लेते हैं
चाहिएँ मुझ को नहीं ज़र्रीं क़फ़स की पुतलियाँ