इश्क़ हो जाएगा मेरी दास्तान-ए-इश्क़ से
रात भर जागा करोगे इस कहानी के लिए
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चाहिएँ मुझ को नहीं ज़र्रीं क़फ़स की पुतलियाँ
तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए
ख़ल्वत-सरा-ए-यार में पहुँचेगा क्या कोई
दो वक़्त निकलने लगी लैला की सवारी
हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़
बुलबुल का दिल ख़िज़ाँ के सदमे से हिल रहा है
तेरे आलम का यार क्या कहना
चलते हैं गुलशन-ए-फ़िरदौस में घर लेते हैं
तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम
दुनिया जो न मैं चंद नफ़स के लिए लेता
क़रीब-ए-मर्ग हूँ लिल्लाह आईना रख दो
दिल में आमद आमद उस पर्दा-नशीं की जब सुनी