Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_gonng2v8fno9lppke8mcjlfmr2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं - आग़ा हज्जू शरफ़ कविता - Darsaal

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

गरेबाँ चाक कर देते हैं बे-दामन बनाते हैं

जुनूँ में जा-ब-जा हम जो लहू रोते हैं सहरा में

गुलों के शौक़ में वीराने को गुलशन बनाते हैं

जिन्हें इश्क़-ए-दिली है वो तुम्हारा नाम जपने को

तहारत से हमारी ख़ाक की मिसरन बनाते हैं

मुरक़्क़ा खींचते हैं जो तिरे गंज-ए-शहीदाँ का

तह-ए-शमशीर हर तस्वीर की गर्दन बनाते हैं

दिया करते हो तुम जिस तरह से बल ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ को

मुसाफ़िर के लिए यूँ फाँसियाँ रहज़न बनाते हैं

हसीनान-ए-चमन पर ख़ात्मा है जामा-ज़ेबी का

फटा पड़ता है जोबन जो ये पैराहन बनाते हैं

हमेशा शेफ़्ता रखती है अपनी हुस्न-ए-क़ुदरत का

ख़ुद उस की रूह हो जाते हैं जिस का तन बनाते हैं

इरादा है जो शमशीर-ए-दो-दम के मुँह पे चढ़ने का

तिरे जाँ-बाज़ चार आईना ओ जोशन बनाते हैं

रहा करते हैं वो दिल में फिरा करते हैं नज़रों में

अता करते हैं नूर आँखों को दिल रौशन बनाते हैं

सलाह-ए-इश्क़ दे दे कर किए देते हैं ख़ुद रफ़्ता

तिरे शैदाई दिल से दोस्त को दुश्मन बनाते हैं

कोई चाक-ए-जिगर बुलबुल का गुल-चीनों से पाता है

निखरने को गुल अपने अपने पैराहन बनाने हैं

गुलों के ढेर ला ला के चमन से उस में फूंकेंगे

क़रीब-ए-बोस्ताँ बेदाद-गर गुलख़न बनाते हैं

मदद तयार है नक़्शा इरम का खिंच के आया है

शहीद-ए-नाज़ पर रहम आ गया मदफ़न बनाते हैं

मुरक़्क़ा खींचते हैं बाग़ का जो हुस्न क़ुदरत से

गुल-ए-शादाब का क्या रंग क्या रोग़न बनाते हैं

तअ'ल्लुक़ ज़ेब-ओ-ज़ीनत से नहीं कुछ ख़ाकसारों को

'शरफ़' मिट्टी में रंगते हैं जो पैराहन बनाते हैं

(912) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain In Hindi By Famous Poet Agha Hajju Sharaf. Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain is written by Agha Hajju Sharaf. Complete Poem Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain in Hindi by Agha Hajju Sharaf. Download free Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain Poem for Youth in PDF. Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Pari-paikar Jo Mujh Wahshi Ka Pairahan Banate Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.