जो दर्द-ए-दिल कहो आहिस्ता बोलो

जो दर्द-ए-दिल कहो आहिस्ता बोलो

ख़ुशी से ग़म सहो आहिस्ता बोलो

फ़ुग़ाँ करना भी जुर्म-ए-आशिक़ी है

बड़े चौकस रहो आहिस्ता बोलो

तुम्हारी आह भी है बार-ए-ख़ातिर

तकल्लुम के शहो आहिस्ता बोलो

दर-ओ-दीवार भी होते हैं जासूस

कोई सुनता न हो आहिस्ता बोलो

अब आह-ए-ज़ेर-ए-लब है बज़्म की रस्म

इसी रौ में बहो आहिस्ता बोलो

सिरहाने दिल ही दिल में बात करना

हमारे दिल-दहो आहिस्ता बोलो

सदा सर फोड़ कर आएगी वापस

यही चाबुक सहो आहिस्ता बोलो

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