Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_76785fb2d56fb81e9e47fb92330600b8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
पानी शजर पे फूल बना देखता रहा - अफ़ज़ाल नवेद कविता - Darsaal

पानी शजर पे फूल बना देखता रहा

पानी शजर पे फूल बना देखता रहा

और दश्त में बबूल बना देखता रहा

अय्याम के ग़ुबार से निकला तो देर तक

मैं रास्तों को धूल बना देखता रहा

तू बाज़ुओं में भर के गुलाबों को सो रही

मैं भी ख़िज़ाँ का फूल बना देखता रहा

कोंपल से एक लब से फ़रामोश हो के मैं

किस गुफ़्तुगू में तूल बना देखता रहा

बादा-कशों के ख़ूँ से छलकता था मय-कदा

ख़मियाज़ा-ए-मलूल बना देखता रहा

पिछले खंडर से अगले खंडर तक था इंतिज़ार

मैं आत्मा की भूल बना देखता रहा

नाम-ओ-नुमूद हफ़्त-जिहत सौंप कर मुझे

सूरज धनक में धूल बना देखता रहा

था सब्ज़ा-ए-कशीदा दरख़्तों के दरमियाँ

ना-क़ाबिल-ए-क़ुबूल बना देखता रहा

तज्सीम-ए-नौ-ब-नौ का करिश्मा था और ही

मैं अपना सा उसूल बना देखता रहा

लौह-ओ-क़लम की ख़ैर-सेगाली के वास्ते

शीराज़ा-ए-नुज़ूल बना देखता रहा

बनते ही मिट गया था ख़बर ही न हो सकी

मैं नक़्श को फ़ुज़ूल बना देखता रहा

चुटकी से बढ़ के था न हजम फिर भी मैं 'नवेद'

आमेज़े में हुलूल बना देखता रहा

(1248) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha In Hindi By Famous Poet Afzal Naved. Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha is written by Afzal Naved. Complete Poem Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha in Hindi by Afzal Naved. Download free Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha Poem for Youth in PDF. Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Pani Shajar Pe Phul Bana Dekhta Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.