Sad Poetry of Afzal Minhas
नाम | अफ़ज़ल मिनहास |
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अंग्रेज़ी नाम | Afzal Minhas |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 1997 |
ज़िंदगी इतनी परेशाँ है ये सोचा भी न था
ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तो
मुझे बतलाईए अब कौन सी जीने की सूरत है
मिटते हुए नुक़ूश-ए-वफ़ा को उभारिए
मैं फ़क़त इस जुर्म में दुनिया में रुस्वा हो गया
कर्ब के शहर से निकले तो ये मंज़र देखा
काँच की ज़ंजीर टूटी तो सदा भी आएगी
गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में
गिर पड़ा तू आख़िरी ज़ीने को छू कर किस लिए
गहरा सुकूत ज़ेहन को बेहाल कर गया
एक पैकर यूँ चमक उट्ठा है मेरे ध्यान में
चुप रहे तो शहर की हंगामा आराई मिली
अपने माहौल से कुछ यूँ भी तो घबराए न थे
अपने माहौल से कुछ यूँ भी तो घबराए न थे