मुझे बतलाईए अब कौन सी जीने की सूरत है
मुझे बतलाईए अब कौन सी जीने की सूरत है
ज़माना इस घने जंगल में इक चीते की सूरत है
बिखरते जिस्म ले कर तुंद तूफ़ानों में बैठे हैं
कोई ज़र्रे की सूरत है कोई टीले की सूरत है
चुरा लाया था आँखों में जो इक तस्वीर दुनिया की
वो अब सहरा में इक सहमे हुए बच्चे की सूरत है
मिरी तहरीर के हर लफ़्ज़ में ज़िंदा हैं आवाज़ें
मगर हैरान हूँ चेहरा मिरा कत्बे की सूरत है
ये कैसी आग है 'अफ़ज़ल' जले साए भी पेड़ों के
धुएँ में किस तरफ़ जाऊँ अजब रस्ते की सूरत है
(866) Peoples Rate This