Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7e9829f5dd7dd0c9b07545cc95214d5a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में - अफ़ज़ल मिनहास कविता - Darsaal

गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में

गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में

कत्बे पे अपने हाथ से लिक्खा हुआ हूँ मैं

आँखों में वसवसों की नई नींद बस गई

सो जाऊँ एक उम्र से जागा हुआ हूँ मैं

यारब रगों में ख़ून की हिद्दत नहीं रही

या कर्ब की सलीब पे लटका हुआ हूँ मैं

अपनी बुलंदियों से गिरूँ भी तो किस तरह

फैली हुई फ़ज़ाओं में बिखरा हुआ हूँ मैं

पत्ते गिरे तो और भी आसेब बन गए

वो शोर है कि ख़ुद से भी सहमा हुआ हूँ मैं

शाख़ों से टूटने की सदा दूर तक गई

महसूस हो रहा है कि टूटा हुआ हूँ मैं

वो आग है कि सारी जड़ें जल के रह गईं

वो ज़हर है कि फूल से काँटा हुआ हूँ मैं

कटते हुए तने का भी नोचा गया लिबास

गिर कर ज़मीं पे और भी रुस्वा हुआ हूँ मैं

'अफ़ज़ल' मैं सोचता हूँ ये क्या हो गया मुझे

मिट्टी मिली तो और भी चटख़ा हुआ हूँ मैं

(1030) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein In Hindi By Famous Poet Afzal Minhas. Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein is written by Afzal Minhas. Complete Poem Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein in Hindi by Afzal Minhas. Download free Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein Poem for Youth in PDF. Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Gum-sum Hawa Ke PeD Se LipTa Hua Hun Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.