मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी
मोहब्बत की कहानी में अदाकारी नहीं करनी
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1491) Peoples Rate This
हमारे ख़ून के प्यासे पशेमानी से मर जाएँ
वो जो इक शख़्स वहाँ है वो यहाँ कैसे हो
बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो
अब जो पत्थर है आदमी था कभी
जाने क्या क्या ज़ुल्म परिंदे देख के आते हैं
छोड़ कर मुझ को तिरे सहन मैं जा बैठा है
आज ही फ़ुर्सत से कल का मसअला छेड़ूँगा मैं
कल अपने शहर की बस में सवार होते हुए
शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है ना
तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं
परिंदे लड़ ही पड़े जाएदाद पर आख़िर
ये नुक्ता इक क़िस्सा-गो ने मुझ को समझाया