आज ही फ़ुर्सत से कल का मसअला छेड़ूँगा मैं

आज ही फ़ुर्सत से कल का मसअला छेड़ूँगा मैं

मसअला हल हो तो हल का मसअला छेड़ूँगा मैं

वस्ल ओ हिज्राँ में तनासुब रास्त होना चाहिए

इश्क़ के रद्द-ए-अमल का मसअला छेड़ूँगा मैं

देखना सब लोग मुझ को ख़ारिजी ठहराएँगे

कल यहाँ जंग-ए-जमल का मसअला छेड़ूँगा मैं

कश्तियों वाले मुझे तावान दे कर पार जाएँ

वर्ना लहरों में ख़लल का मसअला छेड़ूँगा मैं

मिल ही जाएँगे कहीं तो मुझ को 'बेदिल-हैदरी'

कूज़ा-गर वाली ग़ज़ल का मसअला छेड़ूँगा मैं

इस शजर की एक टहनी परले आँगन में भी है

अपने हम-साए से फल का मसअला छेड़ूँगा मैं

(802) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main In Hindi By Famous Poet Afzal Khan. Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main is written by Afzal Khan. Complete Poem Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main in Hindi by Afzal Khan. Download free Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main Poem for Youth in PDF. Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaj Hi Fursat Se Kal Ka Masala ChheDunga Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.