मिसाल-ए-बर्ग किसी शाख़ से झड़े हुए हैं

मिसाल-ए-बर्ग किसी शाख़ से झड़े हुए हैं

इसी लिए तो तिरे पाँव में पड़े हुए हैं

ज़मीं ने ऊँचा उठाया हुआ है वर्ना दोस्त

हवा में घास के तिनके कहाँ पड़े हुए हैं

किसी ने मेरी ज़मीं छान कर नहीं देखी

वगर्ना कितने सितारे यहाँ पड़े हुए हैं

यहाँ सरों पे यूँही बर्फ़ आ पड़ी वर्ना

बड़े भी उम्र से अपनी कहाँ बड़े हुए हैं

किसी के हुक्म से ऐसा जुमूद तारी है

ज़मीं रवाना हुई और हम खड़े हुए हैं

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Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain In Hindi By Famous Poet Afzal Gauhar Rao. Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain is written by Afzal Gauhar Rao. Complete Poem Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain in Hindi by Afzal Gauhar Rao. Download free Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain Poem for Youth in PDF. Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Misal-e-barg Kisi ShaKH Se JhaDe Hue Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.