Qitas of Afzal Allahabadi
नाम | अफ़ज़ल इलाहाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Afzal Allahabadi |
ये कौन आया है गुलशन में ताज़गी ले कर
ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से
उस की ख़ुश्बू से मोअ'त्तर है मिरी तन्हाई
तू है ज़ाहिर परस्त ऐ दुनिया
शे'र की मैं रदीफ़ बन जाऊँ
मैं ज़बाँ रखते हुए ख़ामोश हूँ
मैं हूँ बेगाना-ए-जहाँ 'अफ़ज़ल'
लब हमारे ख़मोश रहते हैं
क्या कभी उस से मुलाक़ात हुई है तेरी
जो मुज़य्यन हों तिरे हुस्न की ताबानी से
जो महकता है बू-ए-उर्दू से
जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ुदा ने बख़्शी है
इस राज़ से वाक़िफ़ नहीं 'अफ़ज़ल' ये ज़माना
इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को हैं बे-ताब आँखें
होता था जिन्हें देख के मसरूर मैं 'अफ़ज़ल'
हिज्र के मारों की तक़दीर भी क्या होती है
हमारी क़ुव्वत-ए-पर्वाज़ का सानी नहीं कोई
हमारे चारों तरफ़ है हुजूम काँटों का
हैं आँधियों में भी रौशन चराग़-ए-हक़ 'अफ़ज़ल'
ग़मों का एक तूफ़ाँ दिल के अंदर शोर करता है
दिखा न ख़्वाब हसीं ऐ नसीब रहने दे
दयार-ए-इश्क़ में महरूमियों के हैं चर्चे
दश्त में तपते ग़ुबारों से तयम्मुम कर के
दर-ब-दर भटका करेंगे रास्ता ढूँडेंगे लोग
चल रहे हैं क़तार में सूरज
अब भी रातें मिरी महकती हैं
आसमानों पे नज़र आती है उस की सुर्ख़ी