जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ुदा ने बख़्शी है
उन्हें ख़रीद न पाएँगे सल्तनत वाले
हर एक शख़्स उठाए है हाथ में पत्थर
कहाँ क़याम करें आइनों के मतवाले
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
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ये हक़ीक़त है वो कमज़ोर हुआ करती हैं
आसमानों पे नज़र आती है उस की सुर्ख़ी
कर दिया ख़ुद को समुंदर के हवाले हम ने
लब हमारे ख़मोश रहते हैं
ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से
तू है ज़ाहिर परस्त ऐ दुनिया
होता था जिन्हें देख के मसरूर मैं 'अफ़ज़ल'
हैं आँधियों में भी रौशन चराग़-ए-हक़ 'अफ़ज़ल'
मिरी दीवानगी की हद न पूछो तुम कहाँ तक है
मैं हूँ बेगाना-ए-जहाँ 'अफ़ज़ल'
चल रहे हैं क़तार में सूरज
अश्क आँखों में लिए आठों पहर देखेगा कौन