तुम हमारे हो हम तुम्हारे हैं

तुम हमारे हो हम तुम्हारे हैं

जैसे दरिया के दो किनारे हैं

रूठे रूठे से सब नज़ारे हैं

इक हमें हैं जो ग़म के मारे हैं

वो मिलाते हैं नज़र हम से

और कहते हैं हम तुम्हारे हैं

हौसला है हमारे दिल में अभी

हम कहाँ ज़िंदगी से हारे हैं

क्या बताएँ कि तेरी फ़ुर्क़त में

किस तरह हम ने दिन गुज़ारे हैं

उस को मेरी कभी सताए क्यूँ

जिस के दामन में चाँद तारे हैं

हम को 'अफ़ज़ल' है आसरा उस का

कैसे कह दें कि बे-सहारे हैं

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