उसे अजब था ग़ुरूर-ए-शगुफ़्त-ए-रुख़्सारी
बहार-ए-गुल को बहुत बे-हुनर कहा उस ने
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(852) Peoples Rate This
जंगल के पास एक औरत
आख़िरी दलील
एक तलवार की दास्तान
शाइरी मैं ने ईजाद की
कौन शाएर रह सकता है
मैं दिल को उस की तग़ाफ़ुल-सरा से ले आया
किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरे
अगर हम गीत न गाते
वो अपने आँसू एक नाज़ुक हेयर ड्रायर से सुखाती है
किताब-ए-ख़ाक पढ़ी ज़लज़ले की रात उस ने
मैं चाहता हूँ मुझे मशअलों के साथ जला
एक लड़की