किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरे
कि मुझ असीर को होना है हम-कलाम उस का
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(877) Peoples Rate This
फ़ैसला
अता उसी की है ये शहद ओ शोर की तौफ़ीक़
वक़्त उन का दुश्मन है
बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ
कोई न हर्फ़-ए-नवेद-ओ-ख़बर कहा उस ने
मैं दिल को उस की तग़ाफ़ुल-सरा से ले आया
एक दिन और ज़िंदा रह जाना
कुछ और रंग मैं तरतीब-ए-ख़ुश्क-ओ-तर करता
कमान-ए-ख़ाना-ए-अफ़्लाक के मुक़ाबिल भी
दो ज़बानों में सज़ा-ए-मौत
गिरा तो गिर के सर-ए-ख़ाक-ए-इब्तिज़ाल आया