सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
याद रखते हैं
बचपन की ग़ैर-ज़रूरी और सफ़ेद फूलों वाली ताम-चीनी की प्लेट
जिस में रोटी मिलती है
सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
बे-शर्मी से लिख देते हैं
अपनी नज़्मों में
अपनी महबूबा का नाम
सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर
याद रखते हैं
बद-तमीज़ी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा
बाग़ में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर
जो फिर कभी नहीं मिली
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