सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर

याद रखते हैं

बचपन की ग़ैर-ज़रूरी और सफ़ेद फूलों वाली ताम-चीनी की प्लेट

जिस में रोटी मिलती है

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर

बे-शर्मी से लिख देते हैं

अपनी नज़्मों में

अपनी महबूबा का नाम

सिर्फ़ ग़ैर-अहम शाएर

याद रखते हैं

बद-तमीज़ी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा

बाग़ में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर

जो फिर कभी नहीं मिली

(883) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sirf Ghair-aham Shaer In Hindi By Famous Poet Afzal Ahmad Syed. Sirf Ghair-aham Shaer is written by Afzal Ahmad Syed. Complete Poem Sirf Ghair-aham Shaer in Hindi by Afzal Ahmad Syed. Download free Sirf Ghair-aham Shaer Poem for Youth in PDF. Sirf Ghair-aham Shaer is a Poem on Inspiration for young students. Share Sirf Ghair-aham Shaer with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.