दो ज़बानों में सज़ा-ए-मौत

हमेशा पुर-सुकून रहने वाली

मालाज़ीबतबाम

कैंप-गार्ड से निकल गई

उस के साथ

'ऐडवर्ड' भी

जो उस पर आशिक़ था

''मुझे हाथ मत लगाओ''

फिर से गिरफ़्तार होने पर

उस ने कहा

हाथ गाड़ी में डाल कर

उस का जिस्म

दूर तक ले जाया गया

बच निकलने के बावजूद

'ऐडवर्ड'

उस दिन वापस आ गया

उसे दो ज़बानों में

सज़ा-ए-मौत दी गई

क्यूँ?

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Do Zabanon Mein Saza-e-maut In Hindi By Famous Poet Afzal Ahmad Syed. Do Zabanon Mein Saza-e-maut is written by Afzal Ahmad Syed. Complete Poem Do Zabanon Mein Saza-e-maut in Hindi by Afzal Ahmad Syed. Download free Do Zabanon Mein Saza-e-maut Poem for Youth in PDF. Do Zabanon Mein Saza-e-maut is a Poem on Inspiration for young students. Share Do Zabanon Mein Saza-e-maut with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.