इस तरह सताया है परेशान किया है
गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(982) Peoples Rate This
दीवारों में दर होता तो अच्छा था
मुश्किल था बहुत मेरे लिए तर्क-ए-तअल्लुक़
ग़म का मौसम बीत गया सो रोना क्या
किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर
जिस को मेरी हालत का एहसास नहीं
रंग आ जाते मुट्ठी में जुगनू बन कर
कर भी लूँ अगर ख़्वाब की ताबीर कोई और
दरीचे में सितारा जागता है
मैं ख़ाक में मिले हुए गुलाब देखता रहा
ऐ मेरे मुसव्विर नहीं ये मैं तो नहीं हूँ