आख़िरी सफ़र
मुस्तक़बिल की झोली में हम गिरते रहेंगे
दाना दाना
माज़ी की लम्बी डोरी से कटते रहेंगे
लम्हा, लम्हा
आख़िर इक दिन
धागे में बिखरे दाने टूटे लम्हों का
हार पिरो कर
ताक़ में तुम सब रख दोगे!
(817) Peoples Rate This
मुस्तक़बिल की झोली में हम गिरते रहेंगे
दाना दाना
माज़ी की लम्बी डोरी से कटते रहेंगे
लम्हा, लम्हा
आख़िर इक दिन
धागे में बिखरे दाने टूटे लम्हों का
हार पिरो कर
ताक़ में तुम सब रख दोगे!
(817) Peoples Rate This