Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9e2832feba276a2a1686ede36c0bd874, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तलाश-ए-क़ाफ़िया में उम्र सब गुज़ारी है - आफ़ताब शम्सी कविता - Darsaal

तलाश-ए-क़ाफ़िया में उम्र सब गुज़ारी है

तलाश-ए-क़ाफ़िया में उम्र सब गुज़ारी है

तू पुख़्तगी जिसे कहता है ख़ामकारी है

सभी हैं अपने मगर अजनबी से लगते हैं

ये ज़िंदगी है कि होटल में शब गुज़ारी है

वो सारे दिन रहा दफ़्तर में और रात ढले

नज़र के कासे में इक ख़्वाब का भिकारी है

कुछ ऐसा बिछड़ा हूँ ख़ुद से कि मिल नहीं सकता

अगरचे काम ब-ज़ाहिर ये इख़्तियारी है

न जाने क्यूँ मिरी आँखों में चुभ रही है आज

सफ़ेद सारी पे जो ये सियाह धारी है

मुझे क्लास में अक्सर ये क़ौल याद आया

वो कामयाब मोअल्लिम है जो मदारी है

(870) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai In Hindi By Famous Poet Aftab Shamsi. Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai is written by Aftab Shamsi. Complete Poem Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai in Hindi by Aftab Shamsi. Download free Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai Poem for Youth in PDF. Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Talash-e-qafiya Mein Umr Sab Guzari Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.