आफ़ताब शम्सी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आफ़ताब शम्सी
नाम | आफ़ताब शम्सी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aftab Shamsi |
तूफ़ान की ज़द में थे ख़यालों के सफ़ीने
सभी हैं अपने मगर अजनबी से लगते हैं
राह तकते जिस्म की मज्लिस में सदियाँ हो गईं
नाम अपना ही मैं सब से खड़ा पूछ रहा था
मैं जंगलों में दरिंदों के साथ रहता रहा
जो साथ लाए थे घर से वो खो गया है कहीं
जो दिल में है वही बाहर दिखाई देता है
देख कर उस को लगा जैसे कहीं हो देखा
यादें
वापसी
तज़ाद
शिकस्त
रात, मामूल और हम
पहली तारीख़
नर्स
मुदावा
मेला
हिजरत
गुज़रते लम्हों का मातम
धूप
आख़िरी सफ़र
टूटा हुआ आईना जो रस्ते में पड़ा था
तलाश-ए-क़ाफ़िया में उम्र सब गुज़ारी है
सभी बिछड़ गए मुझ से गुज़रते पल की तरह
पयाम-ए-आश्ती इक ढोंग दोस्ती का था
कोई अच्छी सी ग़ज़ल कानों में मेरे घोल दे
जू-ए-रवाँ हूँ ठहरा समुंदर नहीं हूँ मैं
जो दिल में है वही बाहर दिखाई देता है
देर तक रात अँधेरे में जो मैं ने देखा
असीर-ए-जिस्म हूँ दरवाज़ा तोड़ डाले कोई