आजिज़ हूँ तिरे हाथ से क्या काम करूँ मैं
आजिज़ हूँ तिरे हाथ से क्या काम करूँ मैं
कर चाक गरेबाँ तुझे बदनाम करूँ मैं
है दौर-ए-जहाँ में मुझे सब शिकवा तुझी से
क्यूँ कुछ गिला-ए-गर्दिश-ए-अय्याम करूँ मैं
आवे जो तसर्रुफ़ में मिरे मय-कदा साक़ी
इक दम में ख़ुमों के ख़ुमें इनआम करूँ मैं
हैराँ हूँ तिरे हिज्र में किस तरह से प्यारे
शब रोज़ को और सुब्ह के तईं शाम करूँ मैं
मुझ को शह-ए-आलम किया उस रब ने न क्यूँकर
अल्लाह का शुक्राना इनआम करूँ मैं
(864) Peoples Rate This